सच कहें तो गूगल ने हमें ‘स्टुपिड’ या बुद्धू बना दिया है। इसने हमारी स्मृति पर हमला कर उसे तगड़ी क्षति पहुंचाई है। लोग अब कुछ भी याद रखना नहीं चाहते। उन्हें पता है कि जो जानना है, वह गूगल कर पल में मालूम कर लेंगे। चूंकि पहले से कुछ भी जानना जरूरी नहीं रह गया है तो सोचना-विचारना और प्रश्न खड़े करना भी छूट गया है। अब तो बने-बनाए प्रश्न हैं और बने-बनाए उत्तर।