हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws 2020) को अचानक निरस्त करने की घोषणा कर दी. अपने आप में यह आश्चर्यजनक फैसला था. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) का ये फैसला कृषि सुधार (Agricultural Reforms) विश्लेषकों के लिए किसी झटके से कम नहीं था जबकि अधिकांश लोगों ने इसे नागरिकों और किसान आंदोलन (Farmers Protest) की जीत के रूप में देखा. अगर ऐसा था तो चीजें गलत कहां हुईं?
कृषि सुधार की जरूरतों से कोई इनकार नहीं करता लेकिन विवाद इस बात को लेकर है कि सुधार क्या होता है. क्या एक अध्यादेश के माध्यम से कृषि सुधार को आगे बढ़ाने का कदम ही समस्याग्रस्त था. कोरोना वायरस महामारी के दौरान इमरजेंसी जैसी स्थिति के बीच इन तीन कृषि विधेयकों को पारित किया गया और जिन्हें बाद में लागू भी नहीं किया गया? अध्यादेशों को लाने का इससे बुरा समय दूसरा नहीं हो सकता था.
इस बात का श्रेय किसानों को ही जाता है कि जब कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) के दौरान देश की पूरी अर्थव्यवस्था (Indian Economy) चरमरा गई तब कृषि ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र (Agriculture Sector in India) था जो भारतीय अर्थव्यवस्था का उज्ज्वल सितारा बन कर उभरा. दूसरी तरफ सरकार अध्यादेशों के ज़रिए कृषि कानून किसानों पर थोपने में लगी हुई थी.