रूस और यूक्रेन: इस युद्ध का कोई विजेता नहीं!
खुद को सुरक्षित बनाने की कोशिश में, इस जंग में शामिल दोनों पक्षों- रूस और नेटो के नेतृत्व में अमेरिका ने खुद को अपनी सबसे बदतरीन असुरक्षा के हवाले कर लिया है. नेटो के रूस की सीमाओं तक हो रहे विस्तार को लेकर पुतिन काफी बेचैन थे. इस घबराहट में राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध की घोषणा कर दी. युद्ध के मैदान में टैंकों को आगे किया गया और बातचीत का सिलसिला कहीं पीछे छूट गया.
21 फरवरी को युद्ध शुरू होने तक, फ्रांस और जर्मनी कुछ हद तक रूस के सबसे बुरे डर को समझने और उसे दूर करने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, पुतिन ने युद्ध की घोषणा के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि इस लड़ाई का केंद्र न अब पूर्व का डीपीआर (दोनेत्स्क) है, और न ही एलपीआर (लुहान्सक) है. बल्कि ये संघर्ष अब
यूक्रेन के अस्तित्व को लेकर ही सवाल खड़े कर रहा है.
उम्मीद है कि सभी पक्षों को अब एहसास हो गया होगा कि आज वे जंग की ऐसी स्थिति में फंस चुके हैं, जहां से कोई भी विजेता बनकर बाहर नहीं निकलेगा.