पिछले साल हमने देखा कि अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाए;
सीमा पार(लाइन ऑफ कंट्रोल: एलएसी)चीन और भारत के बीच संघर्ष की ख़बरें
आईं;और अब व्हाइट हाउस में एक नए अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जो भारत और उसके
पड़ोसी देशों के बीच तनाव दूर करने के लिए बातचीत का रास्ता सुझा रहे
हैं.वर्तमान की भू-राजनीतिक झुकावों का मूल्यांकन कोई कैसे करेगा?
दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ-साथ दक्षिण एशियाई देशों का ये सबक है कि वे
शक्तिशाली देशों के साथ रणनीतिक प्रतिद्वंदिता में न उलझें. ट्रंप के बाद यूरोप भी
उन रणनीतिक स्वायत्तता के महत्त्व को समझ रहा है,चीन और अमेरिका की आपसी
प्रतिस्पर्धा के बीच कोई देश नहीं आना चाहता है
2020 में रायसीना वार्ता में अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा
सलाहकार,मैट पोटिंगर,ने कहा था कि हिंद-प्रशांत का विस्तार कैलिफोर्निया से लेकर
किलिमंजारो तक है.इससे पहले 2018 में अमेरिकी सरकार ने यूएस पैसिफिक
कमांड का नाम बदलकर यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड कर दिया था.
यही कारण है कि भारत को हिंद महासागर और एशिया
के पूर्व से लेकर पश्चिम तक अपने प्रति झुकाव रखने वाले संबंधों की आवश्यकता
है,जो आपस में ‘संबद्ध’ होकर भारत को सुरक्षा प्रदान कर सकें. एक बड़े एशियाई
प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे समझौतों या संबंधों की ज़रूरत है,जो इन सभी
पहलुओं को शामिल करते हों.