अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान के हालात पर क़ाबू पाने में नाकाम रहने के चलते 20 साल बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान राज की वापसी हो गई है. अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना वापस बुलाने का फ़ैसला डोनाल्ड ट्रंप ने लिया था. अफ़ग़ानिस्तान से सैनिक वापस बुलाने के फ़ैसले को लेकर, जानकारों ने बार बार अमेरिका से हालात बिगड़ जाने का अंदेशा जताया था. फिर भी बाइडेन प्रशासन ने ट्रंप प्रशासन के लिए फ़ैसले को लागू करते हुए अमेरिकी सेना वापस बुला ली. इसका नतीजा आज हम अफ़ग़ानिस्तान के मंज़र के तौर पर देख रहे हैं.
पिछले साल तीन जनवरी को ईरान के कद्दावर जनरल और अयातुल्ला ख़मेनेई के बाद दूसरे ताक़तवर शख़्स क़ासिम सुलेमानी की हत्या उस वक़्त हुई थी जब ईरान, इराक़ और लेबनान के युवा विदेशी ताक़तों के बढ़ते असर के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर रहे थे. लेकिन, सुलेमानी की हत्या के बाद हर तबक़े के युवाओं का वो विरोध प्रदर्शन शांत हो गया था.
अमेरिका ने अक्सर ख़ुद को पश्चिमी एशिया के दलदल में फंसा हुआ पाया है. इस दलदल से निकलने की अपनी हर कोशिश में अमेरिका और भी फंसता चला गया है. ईरान को अलग थलग करने की कोशिश में अमेरिका ने ख़ुद को ही लगभग अलग थलग कर लिया है. आज उसका कोई भी सहयोगी देश उसके साथ खड़ा नज़र नहीं आता. कोई भी जंग नहीं चाहता- क्योंकि दोनों ही पक्षों के लिए युद्ध के सियासी जोखिम बहुत ज़्यादा हैं.
फिर भी भयंकर पागलपन के इस दौर में जाने अनजाने किसी ग़लती से जंग के शोले भड़कने का ख़तरा मंडरा रहा है.
इंडियाज़ वर्ल्ड के इस एपिसोड में सुंजॉय जोशी और नग़मा सगर इसी मसले पर चर्चा कर रहे हैं.